विविध >> ककहरा कुपोषण का ककहरा कुपोषण कासचिन कुमार जैन
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कुपोषण एक चुनौती भी है और सवाल भी...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
कहाँ खो जाते है
रोशनी के पैमाने तमाम
जब सो जाते हैं बच्चे
भूख से आलिंगन करके,
कहाँ खो जाते हैं
वो रंगीन ख्वाब
जब खाली
रह जाती है थाली,
यह कैसी परंपरा है
ज्ञान की
जहाँ माँ सिखाती है
कोख में ही
अपने भ्रूण को
ककहरा कुपोषण का।
रोशनी के पैमाने तमाम
जब सो जाते हैं बच्चे
भूख से आलिंगन करके,
कहाँ खो जाते हैं
वो रंगीन ख्वाब
जब खाली
रह जाती है थाली,
यह कैसी परंपरा है
ज्ञान की
जहाँ माँ सिखाती है
कोख में ही
अपने भ्रूण को
ककहरा कुपोषण का।
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